भाकृअनुप-एनआरसीसी बीकानेर ने जनजातीय क्षेत्रों में कृषक-वैज्ञानिक संवाद तथा पशु स्वास्थ्य शिविर कार्यक्रमों का किया आयोजन
ICAR-National Research Centre on Camel (NRCC), बीकानेर द्वारा जनजाति उपयोजना के अंतर्गत सिरोही जिले के जनजाति क्षेत्रों में दो दिवसीय (30-31 जुलाई) पशु स्वास्थ्य शिविर एवं कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
पशुपालकों से बात करते हुए एनआरसीसी के निदेशक डॉ. आर.के. सावल ने पशुओं के स्वास्थ्य, आहार और पोषण, स्वच्छ दूध उत्पादन, उचित आवास व्यवस्था और उनसे अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए विपणन जैसे कारकों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि पशुपालन के लिए यह परिष्कृत दृष्टिकोण मवेशियों से राजस्व प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है। निदेशक ने कहा कि एनआरसीसी के वैज्ञानिकों ने पच्चीस से अधिक मादा ऊंटों के दूध से एक स्वादिष्ट उत्पाद बनाया है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अध्ययनों के अनुसार यह दूध मधुमेह, तपेदिक, ऑटिज्म आदि सहित कई मानव बीमारियों के उपचार में आशाजनक साबित हो रहा है।
What is Butterfly Gardening(तितली उद्यान)? A Comprehensive Guide
इस दौरान सिरोही पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. जगदीश प्रसाद बरवड़ ने क्षेत्र के पशुधन की समस्याओं से अवगत कराया। सिरोही के अछपुरा गांव की सरपंच श्रीमती बालमी देवी ने पशुपालकों से पशु स्वास्थ्य शिविरों का भरपूर लाभ उठाने का आग्रह किया।
ऊँटों में सर्रा (टिब्रसा)/Sarra (Tibrsa) बीमारी के उपचार और रोकथाम के लिए क्विनापाइरामाइन/Quinapyramine vaccine के टीके का इस्तेमाल किया गया। साथ ही, ऊँटों में मुमरी बीमारी (संक्रामक एक्टीमा)/Mummari illness (Contagious Ecthyma) की महामारी की खोज की गई थी, और इसके उपचार के लिए, एनआरसीसी के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला परीक्षण के लिए रोगग्रस्त ऊँट के रक्त, त्वचा और स्राव के 49 नमूने एकत्र किए।
आबुरोड़ स्थित गांव मोरडु के 142 पशुपालकों (83 महिला सहित) तथा गांव अचपुरा के 135 पशु पालकों (77 महिलाओं सहित) ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
(भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर)
THanks to
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद
INDIAN COUNCIL OF AGRICULTURAL RESEARCHMinistry of Agriculture and Farmers Welfare